Milk Qualities mentioned in Charak Sanhita- इस शास्त्र में 8 प्रकार के दूध के गुण बताये गए है जो की हमारे लिए बहुत ज्यादा लाभकारी है। सब दूध वैसे तो सामान्य होते है। लेकिन हर दूध किसी न किसी रोग को ठीक करता है। हम आपको आयुर्वेद में बताये गए गुणकारी दूध के बारे में बताते है। (In Charak Sanhita scripture, the properties of 8 types of milk have been mentioned. These Milk are very beneficial for us. All milk is normal. But every milk cures some diseases. We tell you about the benefits of Milk which are Mentioned in Aayurveda).
चरक संहिता में 8 प्रकार के दूध के गुण और लाभ का उल्लेख किया गया है।
ये सभी प्रकार के दूध अलग-अलग गुणवत्ता से युक्त होते हैं। कुछ दूध मधुर रस वाले होते हैं, जो शरीर को मजबूत बनाते हैं। कुछ दूध अच्छे वीर्य को तैयार करते है और बुद्धि को बढ़ाने में सहायक होते हैं। ये जीवन के लिए हितकारी होते हैं और थकावट को भी दूर करते हैं। दूध पित्त को कम करता है और अलग-अलग दोषों को कम करता है। ये विभिन्न प्रकार के रोगो को दूर करते है। ( All milk have different qualities. Some milks are sweet in taste, which nourishes our body. Some milk increases power. while some helps in increasing intelligence. These are beneficial for life and also remove fatigue. Milk reduces pitta and balances different doshas of body. These milks are beneficial in various types of diseases, urinary diseases and other diseases.
चरक संहिता में विभिन्न 8 प्रकार के दूध के गुणों का वर्णन
1- गाय का दूध – यह पचने में आसान होता है इसलिए बच्चो को खासकर infant के लिए गाये का दूध बताया जाता है। गाये का दूध मोटापा कम करता है, खांसी में लाभदायक है , और बल प्रदान करता है। इसके नियमित सेवन से शरीर को ऊर्जा और ताकत मिलती है यह दूध शरीर में मौजूद बुरे कीटाणु कम करता हैं। ( Cow Milk is easy to digest and helps in treating cold, cough. Regular consumption of Cow Milk increases enthusiasm and strength in the body and reduces the bad germs present in the body).
2- भैंस का दूध – यह बहुत अधिक गाढ़ा होता है , पौष्टिक और चिकनाई प्रदान करने वाला होता है। यह शरीर की ताकत को बढ़ाता है, नींद लाने में मदद करता है और पित्त संबंधी समस्याओं को दूर करता है। ( बुफैलो Milk is more thick, nutritious and provides lubrication. It increases body strength, helps in better sleep and removes Pitt related problems).
3- बकरी का दूध – यह दूध पचने में आसान होता है और इसमें मीठा रस होता है। यह कफ और पित्त दोष के लिए फायदेमंद है, प्लेटलेट्स को संतुलित करता है। यह दूध दस्त, बुखार और श्वसन प्रणाली की समस्याओं में फायदेमंद है। ( Goat milk is easy to digest and sweet in taste. It is beneficial for Kapha and Pitta Dosha. Goat Milk balances platelets, and beneficial in diarrhea, fever and respiratory system problems.)
4- भेड़ का दूध – यह सेहत के लिए अच्छा, पौष्टिक और गर्म प्रकृति का होता है। यह वात और कफ दोषों को संतुलित करता है और पित्त को बढ़ने से रोकता है। Sheep milk is highly nutritious for health and of warming nature. It balances Vata and Kapha doshas and prevents aggravation of Pitta.
5- ऊँटनी का दूध – यह दूध कफ दोष को दूर करने में सहायक है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है तथा श्वसन संबंधी रोगों में विशेष लाभकारी है। ( Camel milk is helpful in removing Kapha dosha, it increases immunity and is beneficial in respiratory diseases).
6- हाथी का दूध – यह बहुत दुर्लभ और अत्यधिक ऊर्जावान है। यह पुरुषों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है। ( Elephant Milk is rare and highly energetic. It is especially beneficial for men)
7- घोड़ी का दूध – यह हल्का और पचाने में आसान होता है। यह पित्त और कफ दोष को संतुलित करता है। हमारी त्वचा को भी लाभ पहुंचाता है। यह रिकवरी करने और कुष्ठ रोग में भी फायदेमंद है। Mare milk is light and easy to digest. It balances Pitta and Kapha दोष। It also benefits for skin. This Milk is beneficial in conditions like cuts and leprosy).
8- मानव दूध – यह दूध नवजात शिशुओं के लिए सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि इसमें शरीर को बुरे कीटाणुओं को कम करने की शक्ति होती है। यह शिशुओं के विकास के लिए आवश्यक है। Human milk is best for newborn babies as it contains immunity boosting power and is essential for the development of babies.
चरक संहिता में वर्णित विभिन्न प्रकार के दूध का उपयोग कई आयुर्वेदिक अनुष्ठानों और चिकित्सा पद्धतियों में किया जाता है।
1- अवगाहन की क्रिया में- अवगाहन का अर्थ है नहाना या शरीर पर लगाना। दूध से नहाने से त्वचा मुलायम होती है और रूप रंग में निखार आता है। यह त्वचा संबंधी समस्याओं और थकान को भी दूर करता है। ( Avagahan means bathing or Apply Milk on the body. It softens the skin and improves the complexion. It also reduces skin problems)
2- वाजीकरण में– वाजीकरण का अर्थ है शक्ति बढ़ाने और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के लिए कुछ विशेष दूधों का उपयोग किया जाता है। ( Vajikaran means increasing power and provide energy to the body.)
3- आलेपन का अर्थ है शरीर पर लेप लगाना। दूध का लेप त्वचा की सुंदरता बढ़ाने, नमी बनाए रखने और त्वचा रोगों को दूर करने में सहायक है और ऊर्जा प्रदान करने के लिए किया जाता है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। ( Aalepan means applying paste on the body. Milk paste is helpful in enhancing the beauty of the skin. it useful in maintaining moisture and curing skin diseases.)
4- विरेचन में– विरेचन का अर्थ है शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालना। दूध का उपयोग पाचन तंत्र को साफ करने और पेट से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए किया जाता है। ( Virechana means removing toxic substances from the body. Milk is used to cleanse the digestive system and flush out toxins from the stomach.)
5- नस्य कर्म में – नस्य कर्म वह उपचार है जिसमें नाक के माध्यम से दवा दी जाती है। इसमें सिर दर्द, सर्दी और मानसिक तनाव को दूर करने के लिए दूध का उपयोग किया जाता है। Nasya Karma is useful for treatment of the nose. This milk is used to relieve headache, cold and mental stress.
आयुर्वेद में शुद्धि (शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालना) के लिए कुछ खास पेड़ों और दूध के फायदे बताए गए हैं।
इन पेड़ पोधो को प्रयोग विशेष रूप से त्वचा संबंधी रोगों और शरीर को शुद्ध करने के लिए किया जाता है। आक और अश्वमतक जैसे पेड़ों का दूध वमन (उल्टी के माध्यम से शरीर से जहर निकालना) और विरेचन (गुदा के माध्यम से शरीर से जहर निकालना) में मदद करता है। ये त्वचा को स्वस्थ और रोगमुक्त रखने में मदद करते हैं। करंज और लोध वृक्ष की छाल का उपयोग भी विरेचन के लिए किया जाता है। ये त्वचा रोगों में अच्छे माने जाते हैं। इसके अलावा कृष्ण गंधा की छाल विरेचन और त्वचा रोगों के उपचार में लाभदायक है। यह दाद, बवासीर, कुष्ठ रोग (त्वचा रोग) और शैवाल (त्वचा की जलन) को ठीक करने में मदद करता है। ( In Ayurveda, the benefits of some special trees of Milk are used for purification (removing toxic elements from the body. These milk of trees are like Aak and Ashwamataka which helps in vamana (removal of poisons from the body through vomiting) and virechana (removal of poisons from the body through anus). These Milk help in keeping the skin healthy and disease free. The bark of Karanj and Lodh trees is also used for purification. These are considered effective in skin diseases. Apart from this, the bark of Krishna Ganda is also useful in treating skin diseases, curing ringworm, piles, leprosy (skin disease) and algae (skin irritation).
Conclusion
चरक संहिता में दूध को एक पौष्टिक पेय भोजन माना गया है। जो शरीर, दिमाग और आत्मा के लिए बेहद फायदेमंद है। चरक संहिता में विभिन्न प्रकार के दूध के गुणों और उनके सेवन के सही तरीके को समझाया गया है। गाय, भैंस, बकरी, ऊंट जैसे विभिन्न जानवरों के दूध के अपने विशेष फायदे हैं, जो वात, पित्त और कफ दोषों को संतुलित करने में सहायक होते हैं। चरक संहिता में दिए गए ज्ञान के अनुसार, दूध का उचित और मध्यम सेवन व्यक्ति की प्रतिरक्षा, मानसिक शांति और समग्र शारीरिक पोषण और विकास में में मदद कर सकता है। इस प्रकार आयुर्वेद में दूध न केवल आहार है बल्कि औषधि के रूप में भी अच्छा माना गया है। ( Charak Samhita describes milk as a complete nutritious. Milk is beneficial for the body, mind and soul. The properties of different types of milk reduce various diseases can be treated Milk of different animals like cow, buffalo, goat, camel have their own special benefits which are helpful in balancing Vata, Pitta and Kapha doshas. It helps in improving human immunity, mental peace and overall nutrition. Thus in Ayurveda milk is not only a diet but also holds an important place as a medicine.
FAQ
दूध के साथ नमक, खट्टे फल या मछली का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह पाचन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। दूध को हमेशा गुनगुना ही पीना चाहिए, क्योंकि ठंडे दूध को पचाना मुश्किल हो सकता है। ताजा दूध का ही सेवन करना चाहिए।
आयुर्वेद के अनुसार सुबह और रात के समय दूध का सेवन सबसे फायदेमंद माना जाता है। सुबह इसका सेवन करने से यह पूरे दिन ऊर्जा बनाए रखता है, जबकि रात में इसका सेवन करने से नींद में मदद मिलती है और पाचन तंत्र को आराम मिलता है। रात को हल्दी वाला दूध पीना भी सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है.
गाय का दूध आयुर्वेद में सबसे उत्तम माना गया है। गाय का दूध विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों के लिए फायदेमंद माना जाता है.