Ayurvedic Charak Samhita Tips for Relief in Headache, Heaviness and Migraine- चरक संहिता किताब प्रथम भाग के हिंदी अनुवादक पंडित काशीनाथ पांडेय शास्त्री जिनके पास BIMS की डिग्री है और अनुवादक डॉक्टर गोरखनाथ चतुर्वेदी जोकि MBBS है, की बुक से यह ब्लॉग हिंदी अनुवाद से लिखा गया है।सिर में भारीपन, सिरदर्द, नाक से दुर्गंध आना, आधे सिर में दर्द, कृमि सिरदर्द, मानसिक शक्ति कम होना (जिसे आज डिप्रेशन कहते हैं) या बेहोशी (यानि बेहोशी) होने पर कुछ उपाय आयुर्वेद में बताये गए है। चरक संहिता में आपको आपको ऐसी पीने और खाने वाली औषधियों के बारे में बताया गया है जो लाभकारी है।
आयुर्वेद में सिर संबंधी रोगों के लिए उपयोगी पदार्थ और उनके सेवन की विधि
वमन आदि 5 कर्म सवस्थ और रोगी दोनों के लिए उपयोगी है। वमन द्रव्यों को अन्य द्रव्यों के साथ मिलाकर आप ले सकते है। इनमे से तदुल, पीपली, मरीच जोकि काली मिर्च होती है उसको सफ़ेद सरसो के साथ मिलाकर, हरेनु, मेहँदी के बीज, पृथ्वी की कलोंजी, काली तुलसी, कुठ, शिरिस के बीज, लहसुन, सफ़ेद अपराजिता, हल्दी, दोनों रह के नमक- सैंधव और सौवर्चल, ज्योतिष्मती, नागर और सोंठ शामिल है, इन सभी द्रव्यों को शिरोविरेचन में उपयोग किया जाता है।
शिरोविरेचन आयुर्वेद की एक प्रमुख उपचार पद्धति है, जिसमें सिर के रोगों को ठीक करने के लिए नाक के माध्यम से औषधियों का प्रयोग किया जाता है। यह विधि सिर में जमा अवांछित चीजों (जैसे कफ, विकार) को दूर करने में मदद करती है और मस्तिष्क और नाक मार्ग को साफ करती है।
नेज़ल थेरेपी (नाक के माध्यम से दवा का सेवन) – इसमें नाक के माध्यम से दवा दी जाती है। जिससे इसका प्रभाव मस्तिष्क के ऊतकों और तंत्रिकाओं तक पहुंचता है और सिर संबंधी विकारों में राहत मिलती है।
सिर संबंधी रोगों में उपयोग – सिर में भारीपन, माइग्रेन, बेहोशी जैसी समस्याओं मस्तिष्क में रुकावट हो तब इन औषधियों में ठंडक और ताजगी देने वाले गुण होते हैं, जो मानसिक तनाव और अवसाद जैसी समस्याओं में भी सहायक होते हैं।
वमन द्रव्य – वमन का अर्थ है उल्टी, जो शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने की एक प्रक्रिया है। इसमें पिप्पली, सफेद सरसों और लहसुन जैसी सामग्रियों के मिश्रण का उपयोग किया जाता है। ये कफ को दूर करने और सिरदर्द से राहत दिलाने में मदद करते हैं।
आयुर्वेद में सिर संबंधी रोगों के लिए उपयोगी पदार्थ और उनके सेवन की विधि
1- तंदुल (चावल) का द्रव्य – इसका उपयोग शिरोविरेचन में किया जाता है। इसे पीसकर इसका पेस्ट नाक में नेजल सॉल्यूशन के तौर पर किया सकता है। इससे सिर का भारीपन और कफ विकारों से राहत मिलती है।
2- कूठ– यह सिरदर्द और तंत्रिका संबंधी समस्याओं से राहत दिलाता है। इसका पेस्ट बनाकर नाक के पास लगाया जाता है और इसे सोंठ के साथ मिलाकर भी लिया जा सकता है।
3- पृथ्वी की कलौंजी – यह नाड़ियों को शक्ति प्रदान करती है तथा सिर के विकारों को ठीक करने में सहायक है। एक चुटकी कलौंजी का चूर्ण शहद के साथ लेने से माइग्रेन में आराम मिलता है।
4- काली तुलसी – यह सिरदर्द, सर्दी और मानसिक तनाव में सहायक है । आप तुलसी के पत्तों का रस निकालकर नाक में डाल सकते हैं या फिर इसके पाउडर को शहद के साथ ले सकते हैं।
5- सफेद सरसों – इसमें सिर में जलन और भारीपन को कम करने के गुण होते हैं। इसके तेल को नाक से लिया जा सकता है या गुनगुने पानी के साथ पिया जा सकता है।
6- हल्दी– इसका उपयोग सिर दर्द, सूजन और नसों के दर्द में किया जाता है। गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीने से सिरदर्द से राहत मिलती है।
7- श्वेत अपराजिता – यह मस्तिष्क को ठंडक पहुंचाती है और जमा हुए अवांछित तत्वों को बाहर निकाल देती है।
8 – हरेणु – यह सर्दी, खांसी और कफ विकारों को ठीक करने में सहायक है। इसे शहद के साथ लिया जा सकता है।
9- मारीच (काली मिर्च)– इसमें गर्मी पैदा करने वाले तत्व होते हैं, जो सर्दी, खांसी और सिर में जमा कफ को साफ करते हैं। शहद के साथ इसका सेवन करने से सिरदर्द से राहत मिलती है। इसे नास्य चिकित्सा में औषधि के रूप में भी लिया जा सकता है।
10– लहसुन – इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो खांसी और सर्दी से राहत दिलाते हैं। आप इसे नाक में हल्का गर्म करके सूंघ सकते हैं।
11- मेहंदी के बीज – इसका उपयोग सिरदर्द और बालों की समस्याओं में किया जाता है। इसे पीसकर इसका लेप सिर पर लगाने से ठंडक और राहत मिलती है।
12- पिप्पली (पिप्पली)– यह सिर की नसों को खोलने में सहायक है। इसे दूध या घी के साथ लिया जा सकता है। आप सुबह आधा चम्मच पिप्पली चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से सिरदर्द और मानसिक तनाव से राहत मिलती है।
13- शिरीष के बीज – मस्तिष्क को शुद्ध और ताज़ा करते हैं। इसके चूर्ण को शहद के साथ लिया जा सकता है।
आयुर्वेद में उबकाई (उल्टी ) या फिर वामन द्रव्य के नाम और उपयोग ( Emetics and their uses in Ayurveda)
आयुर्वेद में उल्टी की प्रक्रिया का विशेष महत्व है, क्योंकि यह शरीर के अंदर जमा विषैले तत्वों को बाहर निकाल देती है। उल्टी के लिए विशेष तरल पदार्थों का प्रयोग किया जाता है जो खांसी, पित्त और सिर के विभिन्न रोगों में लाभकारी होते हैं। ये सभी औषधियां सिर में कफ या पित्त के कारण होने वाले विकारों को दूर करने में सहायक होती हैं।
1- मदन (मैनफल)– उल्टी के लिए इस फल का उपयोग किया जाता है जो कफ और पित्त को संतुलित करता है और विषैले तत्वों को बाहर निकालता है। इसके सेवन से उल्टी की समस्या में लाभ होता है और सिरदर्द, भारीपन जैसी समस्याओं में भी राहत मिलती है।
2- कटुवी (तारोई) – यह औषधि भी उल्टी में मदद करती है और पित्त को नियंत्रित करती है। सिर के रोगों में इसका सेवन कफ और पित्त विकारों को दूर करने में सहायक होता है।
3- नीम (नीम की छाल) – नीम का कड़वा स्वाद शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है। नीम की छाल का सेवन करने से सिरदर्द, खांसी और पित्त की समस्या से राहत मिलती है। इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण भी होते हैं, जो सिर में किसी भी तरह की सूजन और संक्रमण में फायदेमंद होते हैं।
4- ऐला (छोटी इलायची)– इसके सेवन से उल्टी के दौरान हमारे मस्तिष्क को राहत देने में सहायक है और उल्टी प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाता है।
5- मधुका (लिकोरिस)– इसका उपयोग सिर के रोगों में होने वाली जलन और भारीपन को कम करने के लिए किया जाता है। इसका सेवन उल्टी के दौरान किया जाता है, जिससे शरीर शुद्ध हो जाता है। पित्त और कफ से होने वाले रोगों में भी इसे लाभकारी माना गया है।
6- पिप्पली (लंबी काली मिर्च) – पिप्पली का उपयोग भी कफ को नियंत्रित करने और सिर में भारीपन से राहत पाने के लिए किया जाता है। यह बारीक नसों को खोलकर कफ को ठीक करता है।
7- कर्तध्वना (कड़वा तुंबा)– इसका उपयोग उल्टी के लिए भी किया जाता है। इसके कड़वे गुण कफ और सिर के पित्त विकारों में लाभकारी होते हैं। इसका सेवन करने से विषैले तत्व दूर हो जाते हैं और सिर की समस्याएं ठीक हो जाती हैं।
8- कूट (कूठ) – कूट फल उल्टी प्रक्रिया में उपयोगी है और सिरदर्द और मानसिक थकान से राहत देता है। इससे सिर के विकार दूर हो जाते हैं।
9- इक्ष्वाकु (कड़वा घी) – इक्ष्वाकु का फल उल्टी प्रक्रिया में बहुत फायदेमंद होता है। इसका उपयोग पित्त और कफ के कारण होने वाले सिरदर्द, भारीपन और मानसिक समस्याओं से राहत पाने के लिए किया जाता है।
FAQ
माइग्रेन और आधासीसी : पिप्पली, मारीच, तुलसी, सोंठ का सेवन करें।
दिमागी शक्ति और याददाश्त के लिए : ज्योतिष्मती, नागर और दारू का प्रयोग लाभकारी है।
सिरदर्द और भारीपन : सफेद सरसों, मेंहदी, कलौंजी का प्रयोग करें।
इन फलों का सेवन किया जाता है और ये वामन में सहायता करते हैं। उदाहरण के लिए सिर के भारीपन, रक्तचाप, पित्त संबंधी विकार और कफ से संबंधित दस्तावेजों में लिया जा सकता है।
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