Stop Hiccups – हिचकी रोकने के कुछ आसान और प्राकृतिक तरीके हैं जिन्हें आप आसानी से अपने घर पर आज़मा सकते हैं। ये तरीके आपकी हिचकी को शांत करते है और हिचकी पर नियंत्रण पाने में आपकी सहायता कर सकते हैं.
घर पर ही हिचकी रोकने के आयुर्वेदिक और घरेलू उपाय
1- छोटे-छोटे घूंट में ठंडा पानी पीने से हिचकी बंद हो सकती है। ठंडा पानी का यह तरीका हिचकी को शांत करने में मदद करता है। ठंडे पानी का तापमान आपकी हिचकी को ट्रिगर करने वाली नसों से राहत दिलाने में अच्छा हो सकता है।
2- सांस लेने और कुछ सेकंड तक सांस रोककर रखने से हिचकी ठीक हो सकती है और राहत मिलती है। जब हम सांस रोकते हैं तो हमारी हिचकी लेने वाली मांसपेशियां शिथिल हो जाती हैं और नसों पर दबाव भी कम हो जाता है। हिचकी दूर करने का यह एक प्राचीन तरीका है जो अच्छा है।
3– जीभ पर एक चम्मच शहद रखने और इसे धीरे-धीरे निगलने से तंत्रिका उत्तेजित हो सकती है, जो हिचकी को नियंत्रित करने में सहायक होती है। शहद का मीठा स्वाद गले में वेगस तंत्रिका को उत्तेजित करता है| ये नसें हिचकी रोकने के लिए संकेत भेजती हैं, जिससे हिचकी से राहत मिलती है।
4- नींबू का छोटा सा टुकड़ा चूसने या उसका रस पीने से हिचकी को नियंत्रित किया जा सकता है। यह जीभ की स्वाद कलिकाओं और तंत्रिकाओं को उत्तेजित करता है। नींबू के खट्टा स्वाद से तंत्रिकाओं पर तनाव पड़ता है और मन विचलित होकर हिचकी का कारण बनता है। इससे हिचकी रोकने में मदद मिल सकती है|
5- एक चम्मच चीनी खाने से वेगस तंत्रिका को उत्तेजित कर नसों को सक्रिय करते है, जो हिचकी को कम करने में सहायक होती है।
6- कुछ सेकंड के लिए तेजी से सांस लें और तुरंत सांस छोड़ें। ऐसा करीब 5-10 बार करें। तेजी से सांस लेने और छोड़ने से हिचकी लेने वालों की मांसपेशियों पर असर पड़ता है, जिससेहिचकी से राहत पा सकते हैं और आप अपनी हिचकी को नियंत्रित कर सकते हैं।
7- पहले गर्म पानी या चा पिएं, फिर कुछ देर बाद ठंडा पेय लें। इस प्रक्रिया को दोहराएँ। गर्म और ठंडे का मिश्रण हिचकी को रोकने में सहायक होता है। तापमान में बदलाव से हिचकी को नियंत्रित करने में मदद मिलती है और हिचकी शांत हो सकती है।
8- कुछ सेकंड के लिए अपनी उंगलियों को अपने कानों में रखें। ध्यान रखें कि उंगलियों को धीरे-धीरे और बिना जोर लगाए कान में डालें। ऐसा करने से वेगस तंत्रिका प्रभावित होती है, जो हिचकी रोकने में मदद कर सकती है। इस तंत्रिका को उत्तेजित करके हिचकी की गतिविधि को नियंत्रित किया जा सकता है।
चरक संहिता में बताए गए हिचकी रोकने के आयुर्वेदिक उपाय
आयुर्वेद में हिचकी रोकने के लिए कुछ विशेष पदार्थ बताए गए हैं, जिन्हें हिकानिग्रहण कहा जाता है। इन तरल पदार्थों में अचूर, पोखरमूल, बेर की गुठली, छोटी कटेरी, बड़ी कटेरी, गिलोय, हर्रे, जवासा, काकड़सिंघी जैसे तत्व शामिल हैं। सांस लेने की तरह हिचकी भी वात और कफ के असंतुलन से उत्पन्न होती है। जब वात का प्रभाव अधिक होता है तो हिचकी आती है। इन असंतुलनों को नियंत्रित करने वाले पदार्थों को ग्रीक में मस्किन फावक कहा जाता है। आयुर्वेद में, इन पदार्थों का उपयोग विशेष रूप से वात और कफ को संतुलित करके हिचकी को शांत करने के लिए किया जाता है।
Conclusion
ये सभी उपाय आम तौर पर सुरक्षित माने जाते हैं। अगर आपकी हिचकी लंबे समय तक बनी रहे या ये घरेलू उपाय काम न करें तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। इन सभी तरल पदार्थों का सेवन करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि इनका प्रभाव आपके शरीर में ठीक से काम कर रहा है। यदि हिचकी बनी रहती है, तो आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना हमेशा सर्वोत्तम होता है।
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